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भागवत ने ‘अखंड भारत’ का समर्थन करते हुए कहा – भारत से अलग हुए पाकिस्तान जैसे देश संकट में हैं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने ”अखंड भारत की आश्यकता” पर बल देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भारत से अलग हुए पाकिस्तान जैसे देश अब संकट में हैं। भागवत ने यहां एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा कि ‘अखंड भारत’ बल नहीं, बल्कि ‘हिंदू धर्म’ के जरिए संभव है। उन्होंने कहा, ”दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है, इसलिए देशभक्ति को जगाए जाने की जरूरत है, छोटे किए गए भारत को (फिर से) एकजुट किए जाने की आवश्यकता है, भारत से अलग हुए सभी हिस्सों, जो स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं बताते है, उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है।”भागवत ने कहा कि कुछ लोगों ने देश के विभाजन से पहले इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया था कि इसे बांटा भी जा सकता है या नहीं, लेकिन ऐसा हो गया। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ”यदि आप इस देश के बंटवारे से छह महीने पहले किसी से पूछते, तो कोई भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता था। लोगों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि पाकिस्तान के गठन संबंधी नई बात सामने आ रही है।”भागवत ने कहा, ”इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि यह क्या है? उन्होंने कहा था कि यह (बंटवारा) मूर्खों का सपना है।” उन्होंने कहा कि (ब्रितानी शासन काल में) लॉर्ड वावेल ने भी ब्रिटेन की संसद में कहा था कि भारत को भगवान ने बनाया है और इसे कौन विभाजित कर सकता है। भागवत ने कहा, ”लेकिन आखिरकार ऐसा (बंटवारा) हुआ। जो असंभव प्रतीत होता था, वह हुआ, इसलिए अभी असंभव लगने वाले अखंड भारत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसकी आवश्यकता है।” भागवत ने कहा कि स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं कहने वाले इससे अलग हुए क्षेत्रों के लिए ‘भारत’ के साथ फिर से जुड़ना अधिक जरूरी है।उन्होंने कहा, ”इन देशों ने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। इसका एक मात्र समाधान (भारत के साथ) फिर से जुड़ना है और इससे उनकी सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी। हम उन्हें दबाने नहीं, उन्हें जोड़ने की बात कर रहे हैं। जब हम अखंड भारत की बात करते हैं, तो हमारा इरादा ताकत के बल पर यह (हासिल) करना नहीं है, बल्कि सनातन धर्म के जरिए उन्हें जोड़ना है। सनातन धर्म मानवता और पूरी दुनिया का धर्म है और इसे आज हिंदू धर्म कहा जाता है।”उन्होंने कहा, ”गंधार अफगानिस्तान बन गया। क्या वहां तब से शांति है? पाकिस्तान का गठन हुआ। क्या वहां उस समय से शांति है?” भागवत ने कहा कि भारत में कई चुनौतियों से निपटने की क्षमता है और दुनिया मुश्किलों से पार पाने के लिए उसकी ओर देखती है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् के जरिए दुनिया फिर से खुशहाली और शांति हासिल कर सकती है।

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