www.youngorganiser.com
Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 4th June 2020.
Thu, 02:07 PM (IST) : Team Work: Taru. R.Wangyal & Pawan Vikas Sharma
जम्मू : विभागीय कार्रवाई हर बार बीच में रोकनी पड़ती है। बेली चराना, सिदड़ा और अन्य इलाकों में अवैध कनेक्शन काटने के दौरान पथराव हो चुका है। इस कारण अभी तक यहां से अवैध कनेक्शनों को नहीं काटा गया है। लाइनलॉस की भरपाई के लिए अब अवैध कनेक्शनों को काटा जा रहा है। साथ ही ऐसे कर्मचारी जो अवैध कनेक्शनों को बढ़ावा दे रहे हैं और जानकारी अधिकारियों को नहीं दे रहे हैं, इन पर भी कार्रवाई की जा रही है। दर्जनों कर्मचारियों को हर मोहल्ले में दस से 15 कनेक्शन अवैध हैं। यानी बिजली कनेक्शन सीधे हाई वोल्टेज तारों से लिए गए हैं। मीटर न होने के कारण बिजली तो जल रही है मगर बिल अदा नहीं हो रहे हैं। शहर में एसी और हीटर जलाने के लिए 100 से 500 रुपये अदा कर लोगों ने अवैध कनेक्शन ले रखे हैं। सरकारी दरों के हिसाब से एसी दिन रात चलने पर 2500 से 3 हजार के करीब बिल अदा करना होता है। कुछ घरों में चार से पांच एसी भी लगे हैं। इस कारण भी सरकारी खजाने की खूब चपत लग रही है। चिह्नित किया गया है। मौजूदा समय में 58 प्रतिशत लाइनलॉस है। पी.डी सिंह एक्सईएन (पी.डी.डी) बिजली विभाग के अनुसार जम्मू में हर माह सौ करोड़ की बिजली जलती है। इसके एवज में बिल सिर्फ 40 करोड़ के बिलों का ही भुगतान होता है जबकि 60 करोड़ की बिजली का कोई हिसाब किताब नहीं है। सरकारी रिकॉर्ड में बिजली जल रही है मगर कुछ पता नहीं चल रहा है कि बिजली की खपत कहां पर हुई है। मौजूदा समय में बिजली विभाग को 58 प्रतिशत लाइनलॉस प्रदेश में हो रहा है। लाइनलॉस को कम करने के लिए अब तय रोडमैप के हिसाब से काम शुरू हो गया है। अब विभागीय टीमें भी अवैध कनेक्शनों को काटने में जुट गई हैं। इस कार्रवाई से बिजली चोरी करने वालों में हड़कंप मच गया है। साथ ही कर्मचारियों से भी अवैध कनेक्शन पर जवाब मांगा जा रहा है। बिजली विभाग के दर्जनों कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। पहले दो मीटर रीडरों को बाहर किया जा चुका है जबकि अन्य पर कार्रवाई की तैयारी है। मौजूदा समय में प्रदेश में करोड़ों रुपये की बिजली चोरी मामले में बिजली विभाग ने कार्रवाई शुरू की है। इस दौरान ऐसे कर्मचारियों को भी चिह्नित किया जा रहा है जो अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। सही जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। इस कारण विभाग को हर माह करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।