www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 1st Mar. 2021, Mon. 00:49 AM (IST) : ( Article ) Sampada Kerni ,Siddharth & Kapish Sharma :- देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे, उन्हें अच्छा स्टूडेंट माना जाता था. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि ‘The Examinee is better than Examiner’। राजेन्द्र बाबू ने अपनी आत्मकथा के अलावा कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें ‘बापू के कदमों में बाबू’, ‘इंडिया डिवाइडेड’, ‘सत्याग्रह ऐट चम्पारण’, ‘गांधीजी की देन’ और ‘भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र’ शामिल हैं। अपने जीवन के आखिरी वक्त में वह पटना के निकट सदाकत आश्रम में रहने लगे थे। यहां पर 28 फरवरी 1963 में उनका निधन हो गया। राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि पर देशभर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा। वह दो कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति रहे। 1962 में उन्हें ‘भारतरत्न’ की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित भी किया गया था। डॉ राजेंद्र प्रसाद बेहद लोकप्रिय थे, इसी वजह से उन्हें राजेंद्र बाबू या देश रत्न कहा जाता था। भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन, भारत के संविधान के निर्माण में उनका अमूल्य योगदान रहा है। डॉ. प्रसाद जी के उच्च विचार व आदर्श मूल्य हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जो बात सिद्धांत में गलत है, वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है।” स्वतंत्रता सेनानी तथा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन, व भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
जब टीचर ने की थी राजेंद्र बाबू की तारीफ, कही थी यह बात :- भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा। वह दो कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति रहे। 1962 में उन्हें ‘भारतरत्न’ की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित भी किया गया था। डॉ राजेंद्र प्रसाद बेहद लोकप्रिय थे, इसी वजह से उन्हें राजेंद्र बाबू या देश रत्न कहा जाता था।
राजेंद्र प्रसाद पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे, उन्हें अच्छा स्टूडेंट माना जाता था. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि ‘The Examinee is better than Examiner’। राजेन्द्र बाबू ने अपनी आत्मकथा के अलावा कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें ‘बापू के कदमों में बाबू’, ‘इंडिया डिवाइडेड’, ‘सत्याग्रह ऐट चम्पारण’, ‘गांधीजी की देन’ और ‘भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र’ शामिल हैं। अपने जीवन के आखिरी वक्त में वह पटना के निकट सदाकत आश्रम में रहने लगे थे। यहां पर 28 फरवरी 1963 में उनका निधन हो गया।