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देशव्यापी लॉकडाउन 20वें दिन मौत के आंकड़े में सबसे बड़ी वृद्धि, अब तक 324 मरे

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Updated, 13 Apr 2020, Mon 11:59 PM (IST) Taru. R.Wangyal , Kuldeep Sharma & Pawan Vikas Sharma)

1…देश में कोरोना के 905 नए केस, मौत का आंकड़ा 300 के पार, कुल मामले हुए 9352

2..ट्रकों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा

3…प्रेस का गला नहीं दबायेंगे

नयी दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के कारण पिछले 24 घंटों में 51 लोगों की मौत होने के बाद इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 324 हो गई जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार को पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कोरोना संक्रमण के 905 नये मामले सामने आये हैं स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुये बताया कि देश में कोरोना से संक्रमण के कुल मरीजों की संख्या 9352 हो गयी है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या  324 पर पहुंच गयी है।अग्रवाल ने कहा कि अब तक 980 मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। इनमें पिछले 24 घंटों में स्वस्थ होने वाले 141 मरीज भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश में संक्रमण को रोकने के लिये लॉकडाउन के दौरान जिला स्तर पर किये गये प्रयासों का परिणाम मिलना शुरु हो गया है। अग्रवाल ने कहा कि इसी का नतीजा है कि संक्रमण से प्रभावित देश के 15 राज्यों के 25 जिलों में पिछले 14 दिनों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।अग्रवाल ने कहा कि इन जिलों में महाराष्ट्र का बूंदिया, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बिलासपुर, केरल में वायनाड, मणिपुर में इंफाल पश्चिम और बिहार में पटना, नालंदा एवं मुंगेर जिले शामिल हैं। संवाददाता सम्मेलन में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये मालवाहक वाहनों की आवाजाही को अबाध बनाने को कहा है। साथ ही मंत्रालय ने आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन से जुड़ी औद्योगिक इकाईयों और लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म श्रेणी के उद्यमों को भी सुचारु बनाये रखने के उपाय करने को कहा है। इस दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि के लिए अब तक 2,06,213 परीक्षण किये जा चुके हैं। इनमें पिछले 24 घंटों के दौरान 156 सरकारी प्रयोगशालाओं में किये गये 14,855 परीक्षण और निज क्षेत्र की 69 प्रयोगशालाओं में किये गये 1913 परीक्षण भी शामिल हैं। गंगाखेड़कर ने देश में पर्याप्त परीक्षण सुविधायें उपलब्ध होने का विश्वास व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘हमारे पास अगले छह सप्ताह तक परीक्षण करने के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं।’’ कोरोना के परीक्षण की त्वरित जांच करने वाली किट की चीन से आपूर्ति के सवाल पर उन्होंने बताया कि जांच किट की पहली खेप चीन से 15 अप्रैल को पहुंचने की संभावना है।

ट्रकों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन पर मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का ‘‘अक्षरश:’’ पालन होना चाहिए। इसके साथ ही जरूरी और गैरजरूरी सामानों में अंतर किए बिना सभी ट्रकों या माल लदे वाहनों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन के दौरान किए गए उपायों पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि आवश्यक सामानों और सेवाओं की स्थिति नियंत्रण में है। इस व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 21 दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जरूरी और गैरजरूरी सामानों में अंतर किए बिना राज्यों के भीतर-बाहर ट्रकों और मालवाहक वाहनों को आवाजाही की अनुमति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाली ट्रकों और मालवाहक वाहनों को भी अनुमति होनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि वे माल लाने जा रहे हों या सामान पहुंचाकर लौट रहे हों। उन्होंने कहा, ‘‘सामानों को लाने-ले जाने के लिए ट्रकों और मालवाहक वाहनों को किसी परमिट या पास की जरूरत नहीं है।’’ अधिकारी ने कहा कि एक ट्रक में एक ड्राइवर और एक क्लीनर की अनुमति दी गयी है और जिला प्रशासन को उनके घरों से ट्रक के स्थान तक आने-जाने में मदद करना चाहिए। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लॉकडाउन पाबंदी से छूट वाले संगठनों और कंपनियों में कार्यरत कर्मियों को तुरंत पास जारी करने को भी कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी ध्यान देना चाहिए कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सीमाई इलाके में स्थित निर्माण इकाइयों में तैनात कर्मियों को कोई दिक्कत नहीं हो।’’ उन्होंने कहा कि रेलवे, हवाई अड्डा, बंदरगाह और सीमाशुल्क विभाग के अधिकारियों को अपने कर्मचारियों और अनुबंध पर काम करने वाले कर्मियों को आवाजाही के लिए पास जारी करने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि आटा, खाद्य तेल जैसी आवश्यक सामग्री से जुड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के कामकाज में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने, ‘‘गोदाम और शीत भंडार को बिना किसी अवरोध के संचालन की अनुमति होनी चाहिए चाहें उसमें जरूरी सामान हो या गैर जरूरी सामान।’’

प्रेस का गला नहीं दबायेंगे
उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी फैलने को हालिया निजामुद्दीन मरकज की घटना से जोड़कर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत और धर्मान्धता फैलाने से मीडिया के एक वर्ग को रोकने के लिये मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की याचिका पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से सोमवार को इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि ‘‘वह प्रेस का गला नहीं घोटेगा।’’ प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मुस्लिम संगठन की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की और उससे कहा कि इस मामले में भारतीय प्रेस परिषद को भी एक पक्षकार बनाये। पीठ ने कहा कि वह इस समय याचिका पर कोई अंतरिम आदेश नहीं देगा और उसने यह मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस याचिका में आरोप लगाया है कि मीडिया का एक वर्ग दिल्ली में पिछले महीने आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैला रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अपनी याचिका में फर्जी खबरों को रोकने और इसके लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश केन्द्र को देने का अनुरोध किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तबलीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल सारे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराने के लिये किया जा रहा है। पश्चिमी निजामुद्दीन में पिछले महीने तबलीगी जमात के मुख्यालय में हुये धार्मिक कार्यक्रम में कम से कम नौ हजार लोगों ने शिरकत की थी और यह कार्यक्रम ही भारत में कोविड-19 महामारी के संक्रमण फैलने का एक मुख्य स्रोत बन गया क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकांश व्यक्ति अपने धार्मिक कार्यो के सिलसिले में देश के विभिन्न हिस्सों में गये जहां वे अन्य लोगों के संपर्क में आये। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि देश में कोरोना वायरस महामारी के फैलने के संबंध मे मीडिया की रिपोर्टिंग और सरकार की रिपोर्ट लगातार तलबीगी जमात के बारे में ही बात कर रही हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम सोचते हैं कि आप भारतीय प्रेस परिषद को भी इस मामले में एक पक्षकार बनायें। भारतीय प्रेस परिषद इस मामले में एक जरूरी पक्ष है। उन्हें पक्षकार बनायें और इसके बाद हम सुनवाई करेंगे।’’ याचिकाकर्ता के वकील ने जब यह दावा किया कि मीडिया की खबरों की वजह से लोगों पर हमला हुआ है तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम खबरों के बारे में ठोस दीर्घकालीन उपाय करना चाहते हैं। एक बार जब हम संज्ञान लेंगे तो लोग समझेंगे। यदि यह हत्या करने या बदनाम करने का मसला है तो आपको राहत के लिये कहीं और जाना होगा। लेकिन अगर यह व्यापक रिपोर्टिंग का मामला है तो प्रेस परिषद को पक्षकार बनाना होगा।’’ इस याचिका में मीडिया के सभी वर्गों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वे शीर्ष अदालत के उन निर्देशों का सख्ती से पालन करें जिसमें यह सुनिश्चत किया जाये कि खबरें पूरी जिम्मेदारी के साथ दी जायें और अपुष्ट खबरें संप्रेषित नहीं हों।

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