www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15th Jun. 2021, Tue. 02: 9 AM (IST) : टीम डिजिटल: Arun Gavaskar & Gurmeet Singh जम्मू : ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने देश की खातिर पाकिस्तानी घुसपैठिए से लड़ते हुए प्राणों की आहुति देकर बहादुरी की एक मिसाल कायम कर दी। देश उनकी बहादुरी व कुर्बानी के जज्बे को हमेशा याद रखेगा। उपराज्यपाल ने ऐसा सोमवार को सोशल मीडिया ट्वीटर पर ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है। उपराज्यपाल के साथ सामाजिक संगठनों व कई राजनीतिक दलों ने भी ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह को उनकी जयंती पर याद किया। कश्मीर पर कब्जा करने की साजिश को नाकाम बनाते हुए 26 अक्टूबर 1947 को उड़ी में सत्तर सैनिकों के साथ वीरगति पाने वाले ब्रिगेडियर ने भारतीय सेना के आने तक पाकिस्तानी सेना को रोके रखा था। ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह का जन्म 14 जून 1899 को जम्मू संभाग सांबा जिले के बगूना गांव में हुआ था। उन्हें बहादुरी के लिए उस समय का सबसे सर्वोच्च वीरता पदक महावीर चक्र दिया गया था। ऐसे में जम्मू में पिछले कई सालों से यह मांग उठ रही है कि उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाए। सोमवार को प्रदेश भाजपा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उन दिनों को याद किया जब ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने 1947 में पांच हजार सैनिको को 4 दिन उड़ी में रोके रखा था। संगठन महामंत्री अशोक कौल की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रमों में पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं ने ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह की फोटो पर पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर पार्टी नेता अरविंद गुप्ता, तिलक राज गुप्ता, डा प्रदीप महोत्रा, प्रो कुलभूषण महोत्रा, राजीव चाढ़क, मोहन सिंह राणा, तारिक कीन, बसंत राज ठाकुर कपिल चिब, डीके, रविन्द्र सिंह जम्वाल आदि मौजूद थे।इस मौके पर विचार व्यक्त करते हुए अशोक कौल ने कहा कि डोगरा सैनिकों ने देश के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। अगर ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह जान की बाजी लगाकर दुश्मन को न रोकते तो इतिहास कुछ और होता। कौल ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने कबाइयलियों के साथ हमला किया था। ऐसे हालात में अपने से कई गुणा अधिक दुश्मन को अंतिम सांस तक रोक कर ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने बहादुरी का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। अन्य भाजपा नेताओं ने भी कश्मीर के रक्षक के योगदान पर प्रकाश डाला।
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