www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 7th May. 2021, Fri. 2:00 PM (IST) : ( Article ) Siddharth कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों को नियंत्रित करने और महामारी का प्रसार रोकने के लिए अब संपूर्ण लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय रह गया है। गांधी ने मंगलवार को ट्वीट किया , “ भारत सरकार को समझना चाहिए कि गरीबों और मजदूरो को न्याय व्यवस्था के तहत सुरक्षा प्रदान कर महामारी को रोकने का संपूर्ण लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय है। सरकार की निष्क्रियता के कारण कई निर्दोष मारे जा रहे हैं। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा देश में कोविड-19 संक्रमण दो करोड़ पार, देश में कोरोना से मौत की संख्या 2,19,000, ऐसे में प्रधान मंत्री यानी मोदी जी का नया घर, पी.एम दफ्तर, मंत्रियों के दफ्तर, संसद बनाना जरूरी है या जीवन रक्षक दवा, ऑक्सिजन, वेंटिलेटर, अस्पताल बेड उपलब्ध कराना। अब कांग्रेस नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर पार्टी की हार के लिए उस को ही कसूरवार ठहराएगा। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि गांधी परिवार पर दबाव भी बढ़ गया है और चुनाव परिणाम के बाद उनकी छवि व साख और अधिक कमजऽाोर हुई है। इसी स्थिति का लाभ लेते हुए कांग्रेस के भीतर असंतुष्ट समूह जिसे जी-23 से जाना जाता है, जिसे इन चुनावों में किनारे कर दिया गया था पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस जनादेश को स्वीकार करती है और वह आत्मचिंतन कर गलतियां सुधारेगी। रणदीप सुरजेवाला ने इस बात पर जोर भी दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही एकमात्र मजबूत विकल्प है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस असम और केरल में सत्ता में वापसी करने में विफल रही, जहां वह मुख्य विपक्षी दल थी। पश्चिम बंगाल में उसका सफाया हो गया तो पुडुचेरी में भी उसे हार मिली है। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि हम इन चुनाव परिणामों को पूरी विनम्रता और ऽिाम्मेदारी से स्वीकार करते हैं। इस विषय पर कोई दो राय नहीं हो सकती कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं, विशेषकर असम और केरल विधानसभा के चुनाव परिणाम हमारे लिए चुनौतीपूर्ण भी हैं और आशा के विपरीत भी। उन्होंने कहा कि हम चुनाव हारे हैं, पर न ही हिम्मत हारी, न मनोबल खोया और न ही आगे बढ़ते रहने का संकल्प। कांग्रेस पार्टी इन चुनाव परिणामों का पार्टी मंच पर विधानसभावार विश्लेषण करेगी। हार को स्वीकार कर हिम्मत को बनाये रखने को एक सकारात्मक सोच ही कहा जाएगा। जमीनी सच यह है कि कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व एक बार फिर अपनी रणनीति और नेतृत्व दोनों में असफल ही रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पांच राज्यों में कांग्रेस को निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर जो असंतुष्ट नेता है वह एक बार फिर नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर हार के लिए उसे जिम्मेवार ठहराएंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व जनमत को अपनी ओर आकर्षित करने में एक बार फिर असफल रहा है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले इस चुनावी प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी में एक बार फिर उठापटक के आसार बढ़ गए हैं, क्योंकि पार्टी के असंतुष्ट समूह (जी-23) के नेताओं की ओर से कांग्रेस के लगातार सिकुड़ते आधार को लेकर जो सवाल उठाए गए थे, वे अब कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए पार्टी के मौजूदा हालात को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देना भी इन नतीजों के बाद आसान नहीं होगा। खासतौर पर इसलिए भी पार्टी की कमजोर हालत और नेतृत्व की दुविधा को लेकर सवाल उठाने वाले असंतुष्ट नेताओं की पांच राज्यों के चुनाव के दौरान कोई भूमिका नहीं थी। चुनावी रणनीति का संचालन पूरी तरह कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व और उनके करीबी पार्टी रणनीतिकारों के हाथ में ही रहा। इसके बावजूद कांग्रेस असम और केरल जैसे दो अहम राज्यों में सत्ता की दावेदार होने के बावजूद जीत से बहुत दूर रह गई। हकीकत यह भी है कि इन पांच राज्यों के चुनाव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व का सबसे ज्यादा जोर केरल और असम पर ही था। राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इन दोनों सूबों में सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं भी कीं। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व मतदाताओं को अपने साथ जोडने में सक्षम साबित होता नजर नहीं आ रहा। द्रमुक के साथ गठबंधन के कारण तमिलनाडु में वह सत्तारूढ़ खेमे की साझेदार भले बन जाए मगर सियासी हकीकत तो यही है कि पांच राज्यों के चुनाव में राजनीतिक रूप से कांग्रेस की झोली में कुछ भी नहीं आया है। इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास निर्माण पर 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस समय संसाधनों का इस्तेमाल लोगों की जान बचाने के लिए किया जाना चाहिए। वाड्रा ने ट्वीट किया, “जब देश के लोग ऑक्सीजन, वैक्सीन, हॉस्पिटल बेड, दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं तब सरकार 13,000 करोड़ से पीएम का नया घर बनवाने की बजाए सारे संसाधन लोगों की जान बचाने के काम में डाले तो बेहतर होगा। इस तरह के खर्चों से पब्लिक को मैसेज जाता है कि सरकार की प्राथमिकताएं किसी और दिशा में हैं।
