www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15th Jun. 2021, Tue. 12: 16 PM (IST) : टीम डिजिटल: Sampada Kerni ,Siddharth & Kapish Sharma लद्दाख । भारतीय सेना ने मंगलवार को 15 जून, 2020 को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनियों से लड़ते हुए अपनी शहादत की पहली वर्षगांठ पर गलवान घाटी में अपने शहीद सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने गलवान के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। अभूतपूर्व चीनी आक्रमण का सामना करते हुए 20 भारतीय सैनिकों ने भारतीय भूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और पीएलए को भारी नुकसान पहुंचाया। एक औपचारिक समारोह में, मेजर जनरल आकाश कौशिक, सीओएस, फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इस अवसर पर लेह में प्रतिष्ठित युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। सेना ने कहा, “देश इन वीर सैनिकों का हमेशा आभारी रहेगा, जिन्होंने सबसे कठिन ऊंचाई वाले इलाके में लड़ाई लड़ी और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया। पूर्वी लद्दाख के गलवन में पिछले साल 15 जून, 2020 भारतीय जवानों ने चीनी सेना का न भूलने वाला सबक सिखाया था। चीन की सेना को सबक सिखाने वाली भारतीय सेना की 16 बिहार रेजीमेंट के शहीदों के पदचिन्हों पर चल रहे भारतीय सेना के जवानों का जोश सातवें आसमान पर है। शहादत पाने वाले गलवन के वीरों से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना के जवान चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी की रक्षा करने के लिए डटे हुए हैं। गलवन के वीरों की शहादत का एक साल पूरा होने पर पूर्वी लद्दाख के गलवन वॉर मेमोरियल में मंगलवार को शहीदों के सम्मान में होने वाला कार्यक्रम दुर्गम हालात में दुश्मन के सामने डटे भारतीय वीरों के देश पर मर मिटने के जज्बे को और बल देगा। पूर्वी लद्दाख में दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग पर केएम 120 पोस्ट के निकट बने गलवन वॉर मेमोरियल में मंगलवार को सेना, 16 बिहार रेजीमेंट के कमान अधिकारी समेत शहादत देने वाले 20 वीरों को सलामी देगी। वॉर मेमोरियल पर उन सभी 20 शहीदों के नाम लिखे हैं, जिन्होंने अपने से दोगुने से भी अधिक चीनी सैनिकों को मार, भगाकर दुश्मन खेमे में कभी न भूलने वाली दहशत पैदा कर दी थी। सेना के सेवानिवृत मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने कहा कि भारतीय सेना ने अब इस क्षेत्र में चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए पहले से कई गुना अधिक मजबूत होकर दुश्मन को अपने तेवर नरम करने के लिए मजबूर कर दिया है। उनका कहना है कि गलवन में चीन से टकराव के बाद से सेना के बेड़े में आधुनिक तोपों, टैंक, आधुनिक निगरानी यंत्र व बुनियादी ढांचे को विकसित करने की मुहिम लगातार चली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास एडवांस लैंडिंग ग्राउंड से हजारों टन साजो सामान पहुंचाकर सेना को मजबूत किया गया तो वहीं टैंक, तोपें पहुंचाने के लिए पुलों, सड़कों का जाल भी बिछा दिया गया। नापाक इरादे रखने वाले चीन के सामने अब पहले से कहीं अधिक मजबूत भारतीय सेना व वायुसेना है। सड़कों का जाल बिछाया जा रहा: इस बीच, लद्दाख में भारतीय सेना के साथ सीमा सड़क संगठन भी भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है। पूर्वी लद्दाख में सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नदियों, नालों पर पुलों व सड़कों को जाल बिछाया जा रहा है। इस समय हिमाचल से लेह पहुंचने के लिए पदम-दारचा सड़क बनाने के बाद इसे चौड़ा करने का काम जारी है। इसके साथ जोजिला टनल के निर्माण का काम भी जोरों पर है। लद्दाख में अब चीन व पाकिस्तान मिलकर चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। दोनों सेनाओं ने हाल में संयुक्त युद्ध अभ्यास भी किया है। ऐसे में सेना की उत्तरी कमान लद्दाख में दो दुश्मन देशों का सामना करने की तैयारी कर रही है। थलसेना प्रमुख व वायुसेना प्रमुख यहां लगातार दौरे कर रहे हैं।
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