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कमाई के हिसाब से लोगों के खर्चों का हिसाब रखा जाए और बड़ी गाड़िया में घूमने का वीडियो शेयर कर रहा है तो उसकी जांच की जाए
कमाई के हिसाब से लोगों के खर्चों का हिसाब रखा जाए और बड़ी गाड़िया में घूमने का वीडियो शेयर कर रहा है तो उसकी जांच की जाए

कमाई के हिसाब से लोगों के खर्चों का हिसाब रखा जाए और बड़ी गाड़िया में घूमने का वीडियो शेयर कर रहा है तो उसकी जांच की जाए

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 12th Feb. 2021.Fri, 3:26 PM (IST) : ( Article ) Kunwar and Kuldeep Sharma ; देश की आबादी 130 करोड़ से ज्यादा है। इनमें 5 लाख या इससे ज्यादा की कमाई करने वाले केवल 1.46 करोड़ लोग ही हैं। ये सच नहीं हैं। असल में इनकम टैक्स वसूलने का सिस्टम बेहद लचर है। कई रेहड़ी लगाने वाले और ऑटो चलाने वालों की इनकम साल में 5 लाख से ज्यादा है, लेकिन वो कभी टैक्स नहीं देते। अब टैक्स लेने के तरीकों को बदलने का समय आ चुका है। सरकार को चाहिए कि वो मौजूदा तरीकों को छोड़कर ट्रांजेक्शन चार्ज लगाए। यानी सरकार इनकम टैक्स खत्म कर के बैंकिंग ट्रांजेक्शन चार्ज शुरू करे। इसमें 1000 रुपए के ट्रांजेक्शन पर 2.5 रुपए सरकार को देने पड़ें। इससे इनकम टैक्स का दोगुना पैसा सरकार के राजस्व में जुड़ेगा। दरअसल, टैक्स में चोरी सैलेरी लेने वालों से ज्यादा बिना सैलेरी वाले करते हैं। उनसे इसी तरह से टैक्स निकलवाया जा सकता है। इनकम टैक्स खत्म करने से सरकारी कमाई बढ़ने का तर्क केवल इस आधार पर दिया जाता है कि टैक्स खत्म करने से लोग ज्यादा खर्च करेंगे, लेकिन अगर लोगों ने खर्च न करके पैसे बचाना या निवेश करना शुरू कर दिया तो यह तर्क पूरी तरह से फेल हो जाएगा। कोई इस बात का दावा नहीं कर सकता कि लोग इनकम टैक्स का पैसा बचने पर खर्च ही करेंगे। इसलिए यह योजना सुनने में अच्छी लग सकती है, लेकिन सरकार सिर्फ किसी विचार के आधार पर अपनी कमाई के इतने बड़े स्रोत को खत्म नहीं करेगी। कोई सरकार इनकम टैक्स को हटाने के बारे में क्यों सोचेगी, जब उसके कुल टैक्स कलेक्शन का एक चौथाई इससे आता है। इनकम टैक्स से होने वाली कमाई को खत्म कर देना ऐसी स्थिति में इसलिए भी सही नहीं होगा जबकि कॉर्पोरेशन टैक्स का कलेक्शन लगातार गिरता जा रहा है।’ बता दें ब्लूमबर्ग के मुताबिक सरकार के कमाए हर रुपए में 16 पैसे इनकम टैक्स से हुई कमाई के होते हैं। वित्तीय वर्ष 2009-10 में कुल टैक्स रेवेन्यू का करीब 40% कॉर्पोरेशन टैक्स से आता था। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इसके घटकर कुल टैक्स रेवेन्यू का करीब 25% हो जाने का अनुमान है। इसकी बड़ी वजहों में से एक 2019 में सरकार की ओर से कॉर्पोरेट टैक्स में की गई भारी कटौती भी है। जबकि इनकम टैक्स की हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल 2010-11 में कुल टैक्स रेवेन्यू में इनकम टैक्स की हिस्सेदारी 18% थी, जो 2019-20 में बढ़कर 23.9% हो गई।इसके अलावा टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली कहते हैं, “सरकार ने इनकम टैक्स वसूलने के लिए विभाग बना रखा है। इसमें 46 हजार से ज्यादा कर्मचारी, कंप्यूटर, बिल्डिंग और दूसरे खर्चे शामिल हैं। सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपए खर्च करना ही पड़ता होगा, लेकिन पूरे साल में व्यक्तिगत इनकम टैक्स से केवल 6.38 लाख करोड़ रुपए जुटाने का ही प्रस्ताव रखा जाता है।”हर बार बजट के बाद सोशल मीडिया पर सुझाव देखे जा सकते हैं कि सरकार को व्यक्तिगत इनकम टैक्स पूरी तरह से खत्म कर इनडायरेक्ट टैक्स बढ़ा देना चाहिए। तर्क दिया जाता है कि अगर लोगों को इनकम टैक्स की चिंता नहीं होगी तो वे टैक्स से बचे पैसों को खुलकर खर्च करेंगे। इससे मांग और खपत में बढ़ोतरी होगी और सरकार को ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स मिलेगा। इस थ्योरी को ‘लाफर कर्व’ भी कहते हैं। इसके मुताबिक टैक्स की दरों में कमी करने से कुल टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी होती है।31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष (2019-20) में कुल 5.95 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स फाइल किया था, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे थे, जिन्होंने टैक्स के रूप में कोई रकम सरकार को नहीं दी थी। इनमें से सिर्फ 1/4 यानी करीब 1.46 करोड़ लोगों ने टैक्स के रूप में कोई रकम चुकाई थी। यानी टैक्स भरने वाले बहुत कम हैं।इन लोगों ने 2019-20 में जो इनकम टैक्स भरा, वो कुल GDP का सिर्फ 2.68% था। जबकि साल 2020-21 में कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने और कमाई में कमी आने से इनकम टैक्स के घटकर GDP का 2.36% रह जाने की उम्मीद है। यह आंकड़ा बहुत कम होने की बात कही जाती है।इन तर्कों को देखते हुए लगता है कि वाकई इनकम टैक्स खत्म कर दिया जाना चाहिए, लेकिन अर्थशास्त्री विवेक कौल इससे असहमति जताते हैं, ‘इनकम टैक्स को GDP के मुकाबले देखने के तरीके से इसकी अहमियत का अंदाजा नहीं होता। यह पूरी अर्थव्यवस्था के आकार को देखने का आंकड़ा है। फिर GDP के मुकाबले इनकम टैक्स में लगातार बढ़ोतरी ही हो रही है। पिछले 10 सालों के आंकड़ों के मुताबिक सकल कर राजस्व या कुल टैक्स रेवेन्यू में कॉर्पोरेशन टैक्स (कॉर्पोरेट का चुकाया इनकम टैक्स) घटा है और व्यक्तिगत इनकम टैक्स बढ़ा है।’ बता दें कि कुल टैक्स रेवेन्यू केंद्र की अलग-अलग करों से होने वाली कुल कमाई है। इसमें कॉर्पोरेशन टैक्स (कॉर्पोरेट टैक्स), इनकम टैक्स, एक्साइज टैक्स, कस्टम टैक्स, केंद्रीय GST शामिल होते हैं। इनकम टैक्स खत्म करने से सिर्फ इतना हो सकता है कि शेयर बाजार आसमान छूने लगे, लेकिन ऐसा तो पहले से ही हो रहा है।’ इस कदम के मानवीय और राजनीतिक पक्ष पर वो कहते हैं, ‘इनकम टैक्स से जुड़ी नौकरशाही के जरिए हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। जब इनकम टैक्स ही नहीं होगा तो उन लोगों का क्या होगा? जब बीजेपी विपक्ष में थी तो इस विचार की हिमायत करती थी, लेकिन इनकम टैक्स अपने विपक्षियों को नियंत्रण में रखने का तरीका भी है। ऐसे किसी हथियार को कोई सरकार क्यों छोड़ना चाहेगी? अगर सरकार खपत यानी अप्रत्यक्ष करों को बढ़ाना ही चाहती है तो उसे ऐसे सामानों पर GST कम कर देना चाहिए, जिनका बड़े स्तर पर उत्पादन होता है। ऐसा करने से बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।इन दिनों लाफर थ्योरी (इनकम टैक्स हटाने) की खूब चर्चा है, लेकिन ऐसा करने से गरीबों को नुकसान होगा, क्योंकि 10 लाख कमाने वाला भी उतना ही टैक्स देगा और 1 लाख वाला भी।” इसलिए इनकम टैक्स हटाने के बजाय गौरी सरकार की एनुअल इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (AIR) टैक्स को और बेहतर बनाने को कहती हैं। उनके अनुसार, ‘कमाई के हिसाब से लोगों के खर्चों का हिसाब रखा जाए। यह भी दावा है कि आजकल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लोगों के सोशल मीडिया एकाउंट पर नजर रखे हुए है। अगर कोई अपनी आय 2.5 लाख बता रहा है और सोशल मीडिया में लंदन जाने और बड़ी गाड़िया में घूमने का वीडियो शेयर कर रहा है तो उसकी जांच की जाएगी।

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