www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 28th Jun. 2021, Mon. 9: 01 AM (IST) : टीम डिजिटल: Sandeep Agarwal जम्मू : एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक के 2 दिन बाद अब जम्मू के ही कालूचक मिलिट्री स्टेशन पर 2 ड्रोन दिखाई दिए हैं। सेना ने उन्हें गिराने के लिए फायरिंग की, पर वो अंधेरे में गायब हो गए। मिलिट्री ने पूरे इलाके में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। रविवार रात 11.30 बजे और सुबह 1.30 बजे अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) मिलिट्री बेस पर नजर आए। इसके बाद सेना अलर्ट पर है। 2 दिन पहले शनिवार और रविवार की दरमियानी रात जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से दो धमाके किए गए थे। इस हमले में एयरफोर्स स्टेशन की छत को नुकसान हुआ था और 2 जवान घायल भी हुए थे। ड्रोन के जरिए एयरबेस के भीतर दो IED गिराए गए थे। नुकसान ज्यादा नहीं हुआ। यह अपनी तरह का पहला हमला था। दोनों धमाके शनिवार रात डेढ़ से दो बजे के बीच हुए। ब्लास्ट इंडियन एयरक्राफ्ट्स के करीब ही हुआ था। यह जगह इंटरनेशनल बॉर्डर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह ने इस हमले को आतंकी हमला बताया था। इस हमले के कुछ ही देर बाद लश्कर के एक आतंकवादी को 6 किलो विस्फोटक के साथ अरेस्ट किया गया था। 100 किलोमीटर तक रेंज, दिखते ही मार गिराना उपाय वायुसेना के पूर्व वाइस चीफ एयर मार्शल रविकांत शर्मा का मानना है कि आतंकी हमले में ड्रोन का इस्तेमाल चिंताजनक है। ड्रोन के मामले में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि छोटा और नीची उड़ान भरने के कारण रडार की पकड़ में नहीं आता। बहुत पास आने पर इसे देखा जा सकता है। यही कारण है कि ड्रोन के मामले में ‘शूट टू किल’ का एसओपी अपनाया जाता है। इसके लिए अमेरिका और इजरायल मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं। हम भी ड्रोन के हमले रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं। ड्रोन की रेंज 5 से लेकर 100 किमी. हो सकती है। यह ड्रोन के पेलोड पर निर्भर है। ड्रोन के टुकड़ों से 24 घंटे में पता चल जाएगा कि यह कितनी रेंज का था, कहां से उड़ान भरी होगी। पूर्व सेना मलिक जनरल वीपी मलिक के मुताबिक जम्मू एयरफोर्स स्टेशन सीमावर्ती क्षेत्र में है और घटना में बेशक पाकिस्तान का हाथ हो सकता है। लेकिन हम इस घटना को कश्मीर पर प्रधानमंत्री की पहल से जोड़कर नहीं देख पा रहे हैं। आतंकी हमलों की साजिश बहुत पहले से चल रही होती है। एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाने के लिए वक्त चाहिए। कश्मीर में सक्रिय उग्रवादी गुटों की इतनी कुव्वत नहीं है कि इस तरह के हमले के बारे में सोच सकें। कश्मीर पर ताजा पहल हमारा अंदरूनी मामला है। पाकिस्तान और वहां सक्रिय आतंकवादी गुट भारत में विघ्न डालने से बाज नहीं आएंगे, इसका अंदाजा सुरक्षा तंत्र को है।
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