www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 8th May. 2021, Sat. 7:00 AM (IST) : ( Article ) Sampada Kerni ये नई कारों के रजिस्ट्रेशन के आंकड़े हैं। इनकी सूची हर महीने फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन (FADA) जारी करता है। कंपनियों की ओर से जारी किए जाने वाले यूनिट सेल्स के आंकड़ों में और इनमें कुछ मामूली फर्क होता है। बीते सात महीनों में मारुति सुजुकी की 8,03,033 गाड़िया बिकीं। एक साल पहले समान अवधि में 7,97,687 ही बिकी थीं। लॉकडाउन के बाद नवंबर 2020 में सबसे ज्यादा 1,43,554 गाड़ियां बिकीं। जब 2019 के नवंबर में सबकुछ ठीक था, तब 1,35,272 गाड़ियां ही बिकी थीं। 2020 के नवंबर में 2 करोड़ लोग नौकरी गंवा चुके थे, लाखों लोगों की सैलेरी 40% से ज्यादा तक कट गई थी, इसके बावजूद दिवाली, धनतेरस और शादियों के इस महीने में लोगों ने ज्यादा गाड़ियां खरीदीं। कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम 2019 की मांग के स्तर पर लौट आए हैं, लेकिन हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि अर्थव्यवस्था में किस तरह से सुधार आता है क्योंकि अभी मांग का स्तर 2018-19 से भी 33-34% कम है। रेखा त्रिपाठी एक दिन वो मारुति सुजुकी के शो-रूम पहुंचीं और एक ब्रेजा कार खरीद ली। ऐसे वक्त में जब लोग सिर्फ बेहद जरूरी चीजों पर खर्च कर रहे हैं, रेखा का कार खरीदने का फैसला हैरान कर सकता है, लेकिन रेखा अकेली नहीं हैं। जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच सात महीनों में लोगों ने 12 प्रमुख कंपनियों की 16 लाख से ज्यादा गाड़ियां खरीदी हैं। यह एक साल पहले की समान अवधि के 15.87 लाख से 1.4% ज्यादा है।जबकि लॉकडाउन के वक्त ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की रीढ़ टूट जाने की बातें हो रही थीं। टीवी पर कारों के विज्ञापन आने बंद हो गए थे। एक्सपर्ट्स का कहना था कि 2020 के अंत तक कुछ कंपनियों पर ताला लगने की नौबत आ सकती है, लेकिन हुआ इसका उल्टा। गाड़ियां पहले से ज्यादा बिकीं।वजह पूछने पर रेखा कहती हैं, “अनलॉक के बाद ऑफिस तो खुलने शुरू हो गए, लेकिन ना मेट्रो चली, ना ही बस। कैब से आने-जाने में संक्रमित होने का खतरा था। ऐसे में उन्होंने अपनी सेविंग से मारुति सुजुकी की ब्रेजा लेने का फैसला किया।” लॉकडाउन के बाद कार खरीदने वाली रेखा अकेली नहीं हैं। बीते 7 महीनों में 8 लाख से ज्यादा लोगों ने मारुति को चुना है।मारुति सुजकी के बाद हुंडई मोटर भारत में सबसे ज्यादा गाड़ियां बेचती है। बीते सात महीनों में इसने 2,83,845 गाड़ियां बेची हैं। एक साल पहले इन्हीं सात महीनों में इसने 2,89,325 हजार गाड़ियां बेची थीं। यानी, एक साल पहले के मुकाबले केवल 5,480 गाड़ियां ही कम बिकी हैं। आखिर के तीन महीनों नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हुंडई की 1,41,794 गाड़ियां बिकीं। ब्रिकी को लेकर कंपनी के सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर तरुण गर्ग ने कहा था, ‘हमने पिछले साल के जून के मुकाबले 75% और पिछली जुलाई के मुकाबले 90% गाड़ियों की बिक्री की थी। जब सबसे कठिन वक्त था, तब हम अपने कर्मचारियों और कस्टमर्स दोनों के लिए हमेशा तैयार रहे। इसलिए कंपनी के अंदर और बाहर भी हमें सकारात्मक नतीजे ही मिले।’टाटा मोटर्स जुलाई 2019 से जनवरी 2020 तक सात महीनों में 81,032 गाड़ियां ही बेच पाया था। कंपनी नई पीढ़ी के कस्टमर के बारे में काफी वक्त से सोच रही थी। लॉकडाउन में कंपनी ने अपनी इस रणनीति पर काम किया। उसके पास अब नई पीढ़ी के लिए तीन-तीन नई कारें हैं। यही वजह है कि लॉकडाउन के बाद के सात महीनों में टाटा मोटर्स ने 55% की रफ्तार बढ़ाकर 1,25,636 गाड़ियां बेच दीं। टाटा मोटर्स में पैसेंजर व्हीकल के प्रेसिडेंट शैलेश चंद्र कहते हैं, ‘टाटा की नई गाड़ियां- हेक्सा, टिगोर और नेक्सन नई डिजाइन की हैं और नई पीढ़ी के हिसाब से बनाई गई हैं। ये नई गाड़ियां भविष्य में हमें आगे बढ़ाएंगी और ये ट्रेंड इस बात को साफ दिखाते हैं।’लॉकडाउन का नुकसान महिंद्रा को हुआ। कंपनी बीते सात महीनों में 87,078 गाड़ियां ही बेच पाई। एक साल पहले समान अवधि में महिंद्रा ने 1,14,914 गाडियां बेची थीं। बिक्री में 24% की गिरावट के पीछे सेमी-कंडक्टर्स और स्टील की कमी बताई गई। कंपनी के पास रॉ-मैटेरियल कम होने पर गाडियां कम बनकर तैयार हुईं। हालांकि बाजार में मांग नहीं घटी थी। दिसंबर, 2020 में महिंद्रा की ओर से एक बयान में कहा गया था, ‘कंपनी जनवरी-मार्च 2021 की तिमाही में सेमी-कंडक्टर्स के उत्पादन में गिरावट दर्ज कर सकती है।’ दरअसल, हर कार में सैकड़ों सेमी-कंडक्टर्स लगे होते हैं। ये कार के सिस्टम को चलाते हैं। अनलॉक के बाद से महिंद्रा को ये पहले जितना नहीं मिल पा रहा है। मार्च, अप्रैल और मई के सख्त लॉकडाउन के बाद 8 जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। तब ऑटोमोबाइल कंपनियां किसी तरह दोबारा शोरूम खोलने की जद्दोजहद में थीं। उधर, किया मोटर्स सेल्टोस मिड साइज SUV और सोनेट कॉम्पैक्ट SUV उतारने की तैयारी कर रही थी। ये गाड़ियां इतनी सफल हुईं कि सितंबर 2020 में 8,021 गाड़ियां बेचने वाली किया ने अक्टूबर में 100% से ज्यादा की बढ़ोतरी हासिल करके 16,096 गाड़ियां बेच दीं। यही वजह थी कि लॉकडाउन के बाद के सात महीनों में इसने 89,272 गाड़ियां बेचीं। एक साल पहले कंपनी इन्हीं सात महीनों में 42,972 गाड़ियां ही बेच पाई थी। किया मोटर्स इंडिया के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर कोखयून शिम कहते हैं, ‘बिक्री शुरू करने के एक साल के अंदर ही किया भारत की सबसे नई ऐसी कंपनी बन गई है, जिसने मार्केट में खलबली पैदा कर दी है।’रेनो और निसान मोटर्स चेन्नई के मैनुफैक्चरिंग ओलगदम प्लांट को आपस में शेयर करते हैं। इसलिए वो इंडिया में पार्टनर्स भी हैं। हालांकि दोनों के आंकड़े अलग-अलग उपलब्ध होते हैं। बीते सात महीनों में रेनो ने 51,312 की तुलना में 52,549 गाड़ियां बेचकर अपनी रफ्तार वापस पा ली है। इसके लिए ट्राइबर और क्विड गाड़ियों की मांग में बढ़ोतरी को वजह बताया जा रहा है। निसान मोटर ने जनवरी 2021 में 184% की बढ़त ली है। हालांकि अभी ये 12,618 के मुकाबले 5361 गाड़ियों तक ही पहुंच पाई है। ऑटोमोबाइल जर्नलिस्ट सार्थक कहते हैं, ‘निसान के पास कोई ऐसी कार नहीं थी, जिसकी भारी डिमांड होती। मैग्नाइट की वजह से ही निसान कारों की बिक्री में 180% से ज्यादा का उछाल आया है।’ऑटोकार इंडिया डॉट कॉम के अनुसार होंडा की बिक्री में जनवरी 2021 में 113.6% की बढ़त हुई है। हालांकि एक साल पहले के सात महीनों के 67,973 गाड़ियों की तुलना में कंपनी इस बार 49,423 गाड़ियां ही बेच पाई है। होंडा के SVP और डायरेक्टर राजेश गोयल कहते हैं, ‘होंडा की बिक्री बेहतरीन बने रहना और 2021 के पहले महीने में इसका इतना अच्छा प्रदर्शन बहुत सकारात्मक है। हमारी सिडान अमेज और सिटी गाड़ियों की मांग पिछले महीने की मांग से आगे निकल गई है।’टोयोटा किर्लोस्कर जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच सात महीनों में 47,445 गाड़ियां ही बेच पाया है। एक वर्ष पहले इन्हीं महीनों में वो 66,970 गाड़ियां बेच चुका था। इसी तरह इस साल फोर्ड इंडिया 28,591 पर पहुंचा है। एक साल पहले 39,409 पर था। मर्सिडीज बेन्ज बीते सात महीनों में 4672 गाड़ियां ही बेच पाया है, एक साल पहले 7044 गाड़ियां बेच चुका था।
