www.youngorganiser.com// नई दिल्ली Mon,25,Feb,2019. updated,11:21 AM IST ( Kuldeep Sharma, Young Organiser Jammu)
नई दिल्ली- आर्टिकल 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने 26-28 फरवरी के बीच मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। धारा 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर में वहां के मूल निवासियों के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से का नागरिक कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता है। इससे वह वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता है। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा से जुड़े आर्टिकल 35ए को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की आज सुप्रीम कोर्ट से किसी ने मांग नहीं की। न तो सरकार के तरफ से और न ही याचिकाकर्ताओं की तरफ से ऐसी मांग हुई। 1954 में इस धारा को आर्टिकल 370 के तहत दिए अधिकारों के अंतर्गत ही जोड़ा गया था। अनुच्छेद 35A के विरोध में दो दलीलें प्रमुख रूप से दी जाती हैं। पहली कि यह राज्य में अन्य राज्य के भारतीय नागरिकों को स्थायी नागरिक मानने से वर्जित करती है। इस वजह से दूसरे राज्यों के नागरिक न तो जम्मू-कश्मीर में नौकरी पा सकते हैं और न ही संपत्ति खरीद सकते हैं। इसके साथ ही यदि प्रदेश की किसी लड़की ने अन्य राज्य के नागरिक से विवाह कर लिया तो उन्हें राज्य में संपत्ति के अधिकार से आर्टिकल 35A के आधार पर वंचित किया जाता है। इसे संविधान में अलग से जोड़ा गया है और इसको लेकर भी विरोध हो रहा है। 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया था और इसमें स्थायी नागरिकता की परिभाषा तय की गई। इस संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो। इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या 1 मार्च 1947 के बाद राज्य से माइग्रेट होकर (आज के पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र के अंतर्गत) चले गए हों, लेकिन प्रदेश में वापस रीसेटलमेंट परमिट के साथ आए हों।