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आखिर ऐसा क्या हुआ जो ईरान ने भारत से छीना सबसे बड़ा ऑयल कॉन्ट्रैक्ट

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 23th May. 2021, Sun. 9:016 AM (IST)  ( Article ) टीम डिजिटल: Siddharth & Kapish : भारत के दोस्त ईरान ने सोमवार को उसे एक तगड़ा झटका दिया है । यहां पर जिस ऑयल फील्ड की खोज भारतीय तेल कंपनी ने की थी, उसका कॉन्ट्रैक्ट अब भारत से छीनकर दूसरी कंपनी को दे दिया गया है यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब ईरान में पहले चीन अपना प्रभाव कायम करने की कोशिशें कर रहा है. विशेषज्ञ इसे भारत के लिए एक बड़ी निराशा करार दे रहे हैं। फारस की खाड़ी में फरजाद-बी गैस फील्ड को भारत की सरकारी कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन विदेश ने तलाशा था अब ईरान की सरकार ने इस ऑयल फील्ड का कॉन्ट्रैक्ट अपनी ही एक स्थानीय कंपनी को सौंप दिया है। ईरान की ऑयल मिनिस्ट्री की सरकारी न्यूज सर्विस शाना की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। शाना ने बताया है नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी ने पेट्रोपार्स ग्रुप के साथ 1.78 बिलियन डॉलर की डील साइन की है जिसके बाद अब फारस की खाड़ी में फारजाद-बी गैस फील्ड के डेवलपमेंट के काम को आगे बढ़ाया जाएगा  । शाना के मुताबिक यह डील सोमवार को साइन हुई है। डील साइन होने के समय ईरान के पेट्रोलियम मिनिस्टर बीजान जांगेनेह तेहरान में ही मौजूद थे। अभी तक ओएनजीसी यहां पर तेल को तलाशने का काम कर रही थी. फरजाद-बी फील्ड में 23 ट्रिलियन क्यूबिक फीट का गैस रिजर्व है । इसमें से 60 प्रतिशत रिकवर करने के योग्य है. साथ ही यहां पर करीब 5000 बैरल प्रति बिलियन क्यूबिक फीट गैस है जो कि गैस संघनन के तौर पर मौजूद है। इस डील के बाद रोजाना 28 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस को अगले पांच सालों तक के लिए निकाला जा सकेगा। ओएनजीसी विदेश लिमिटेड की तरफ से साल 2008 में यहां पर निवेश किया गया था. इसके लिए 11 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम ओएनजीसी और इसके साझीदारों की तरफ से निवेश की गई थी. इसे बाद में फरजाद-बी गैस फील्ड का नाम दिया गया था. 18 अक्टूबर 2020 को आई पीटीआई एक रिपोर्ट के मुताबिक एन.आई.ओ.सी ने ओएनजीसी विदेश को इस बारे में जानकारी दे दी थी. इसमें कहा गया था कि फरजाद-बी के डेवलपमेंट का काम अब ईरान की कंपनी को दिया जाएगा। इसके साथ ही ईरान ने भारतीय कंपनी को यहां से निकालने के लिए कह दिया था। फरजाद-बी गैस फील्ड को पहले फारसी ब्लॉक साइट्स के तौर पर जाना जाता था. फारस की खाड़ी में 3500 स्क्वॉयर किलोमीटर की साइट पर 20 से 90 मीटर तक पानी की गहराई में काम जारी था. ओएनजीसी विदेश ने ऑपरेशनरशिप के 40 फीसदी इंट्रेस्ट के साथ एक्सप्लोरेशन सर्विस कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। यह कॉन्ट्रैक्ट 25 दिसंबर 2002 को साइन हुआ था। जबकि दूसरे पाटनर्स जिसमें 40 फीसदी के साथ इंडियन ऑयल कॉर्प और 20 फीसदी के साथ ऑयल इंडिया इसमें शामिल थे । ओ.एन.जी.सी को 18 अगस्त 2008 को यहां पर गैस का भंडार मिला था, 25 जून 2009 को एक्स्प्लोरेशन फेज खत्म हो गया था । भारत की तरफ से ब्लॉक में करीब 400 मिलियन डॉलर की रकम निवेश की थी। Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।   हर पल अपडेट रहने के लिए YO APP डाउनलोड करें Or. www.youngorganiser.com। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

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