.…..कृषि कानूनों पर विपक्ष के विरोध की तुलना पीएम मोदी ने शादी में नाराज होने वाले रिश्तेदारों से की… ?
…..सदन में किसान आंदोलन पर चर्चा हुई। किसान आंदोलन क्यों हो रहा है यह नहीं बताया। आंदोलन की मूलभूत बात पर चर्चा होनी चाहिए थी…?
www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 8th Feb. 2021.Mon, 11:52 AM (IST) : Pawan Vikas Sharma , Kunwar , Imtiaz Chowdhury, Arun Gavaskar, Siddharth, Sandeep Agerwal, Kuldeep Sharma,Gurmeet , Kapish, Sampada Kerni & Taru. R.Wangyal, सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते… तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ताकत इतनी थी कि न सुनने के बावजूद भी विपक्षी सदस्य सदन में बहुत कुछ बोल पा रहे थे। उन्होंने कहा यह अपने आप में उनके भाषण की ताकत है उन विचारों की ताकत है, उन आदर्शों की ताकत है जो न सुनने के बाद भी पहुंच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए आज विपक्ष के कई नेताओं को अपने अनोखे अंदाज में जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने गुलाम नबी आजाद के सहारे कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर भी कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कहा कि वह कभी कटू शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते। पीएम मोदी ने कहा, ‘गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में हुए डीडीसी चुनाव की तारीफ की लेकिन मुझे डर लगता है कि आपकी पार्टी वाले इसे सही स्पीरिट में लेंगे या नहीं। कहीं आपकी पार्टी इसे जी-23 की राय समझकर पलट न दे।’ बता दें कि बीते साल गुलाम नबी आजाद सहित कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी की कार्यशैली में बदलाव की मांग की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने ताली-थाली का मजाक उड़ाने पर जहां आप सांसद संजय सिंह को परोक्ष रूप से जवाब दिया तो वहीं लोकतंत्र की बातें करने पर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भी बंगाल का हाल याद करने की सलाह दी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद डेरेक ओ ब्रायन के बयान पर पलटवार करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने जिन शब्दों का प्रयोग किया, ऐसा लगा वह देश की नहीं बल्कि बंगाल की बात कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस सांसद प्रकाश सिंह बाजवा के बयान पर पीएम मोदी ने कहा कि मुझे लगा वह कांग्रेस काल के आपातकाल और 1984 के दंगों का जिक्र करेंगे। संसद में आज विपक्ष की उन टिप्पणियों का भी जवाब दिया जिसमें कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में ताली-थाली बजाने को लेकर मजाक बनाया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में एक बूढ़ी महिला ने झोपड़ी के बाहर दीया जलाया, लेकिन उसका भी मजाक उड़ाया गया। विपक्ष ऐसी बातों में ना उलझे, जिनसे देश के मनोबल को चोट पहुंचे। वहीं कोरोना काल में ताली- थाली को लेकर विपक्ष की टिप्पणियों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि आलोचना ठीक है लेकिन ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे देश का आत्मविश्वास प्रभावित होता हो। कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ताली-थाली के आयोजन को मूर्खतापूर्ण बताया था।
आंदोलनजीवी से बचे देश : प्रधानमंत्री
….कृषि कानूनों पर विपक्ष के विरोध की तुलना प्रधानमंत्री मोदी ने शादी में नाराज होने वाले रिश्तेदारों से की..नया शब्द दे गए ‘आंदोलनजीवी’?
इस दौरान उन्होंने कृषि कानून को लेकर हो रहे आंदोलन से लेकर विपक्ष की ओर से की जा रही बयानबाजी तक हर बात का जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आंदोलन करने वाले किसानों से सरकार की वार्ता जारी है, विपक्ष को लोकतंत्र समझने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में एक बार फिर से किसानों को यह आश्वासन दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एम.एस.पी खत्म नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की भी अपील की।श्रमजीवी, बुद्धजीवी के बाद नई जमात सामने आई है आंदोलनजीवी। स्टूडेंट हो या कोई भी आंदोलन हो वहां शामिल हो जाते हैं। ये आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं। जहां-जहां सरकार चलाते होंगे वहां यह नजर आते होंगे। नया एफ.डी.आई आया है? नया एफ.डी.आई यानी फारेन डिस्ट्रक्टिव एक्टिविटी। देश को इससे बचना होगा। कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर-अशांत देखना चाहते हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के साथ क्या हुआ। आजादी मिली तो सबसे ज्यादा पंजाब को नुकसान हुआ। इसके पीछे कौन ताकतें हैं, हर सरकार ने इसको जाना है, परखा है और जांचा है। कुछ लोग हमारे सिख भाइयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। ये देश हर सिख भाई पर गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया उन्होंने। आंदोलनकारियों से सरकार की बात चल रही है। कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। आंदोलनकारियों को समझाते हुए हमें देश को आगे ले जाना होगा। एम.एस.पी है, एम.एस.पी था और एम.एस.पी रहेगा मेहरबानी कर के भ्रम न फैलाएं।कृषि कानूनों पर विपक्ष के विरोध की तुलना पीएम मोदी ने शादी में नाराज होने वाले रिश्तेदारों से की। उन्होंने कहा जब इतना बड़ा परिवार है तो यह सब लगा रहता है। यहां लोकतंत्र को लेकर काफी उपदेश दिए गए हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई हैं देश का कोई भी नागरिक उन पर भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं, ऐसी गलती हम न करें, चुनौतियां तो हैं। लेकिन हमें तय करना है कि हम समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का माध्यम बनना चाहते हैं, सोशल मीडिया पर देखा होगा फुटपाथ पर छोटी झोपड़ी लगाकर बैठी एक बुढ़ी मां अपनी झोपड़ी के बाहर दीया जलाकर भारत के शुभ के लिए कामना कर रही है। हम उसका मजाक उड़ा रहे हैं, उस भावना का मखौल उड़ा रहे हैं! विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं, सदन में किसान आंदोलन पर चर्चा हुई। किसान आंदोलन क्यों हो रहा है यह नहीं बताया। आंदोलन की मूलभूत बात पर चर्चा होनी चाहिए थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे लेकिन भारत है जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। लेकिन भारत है जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आशा की किरण नजर आ रही है,भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई: प्रधानमंत्री, हमारे यहां कोरोना को लेकर डराने की कोशिशें भी हुईं। कई विशेषज्ञों ने अपनी समझ के हिसाब से बताया। आज दुनिया इस बात पर गर्व कर रही है कि भारत ने कोरोना से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, लेकिन भारत को तो जाता है। विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है। पीएम मोदी ने विपक्ष पर किया हमला- लोकतंत्र को लेकर बहुत उपदेश दिए, भारत का लोकतंत्र बहुत मजबूत है। भारत राष्ट्रवाद संकीर्ण नहीं है। हमें अपने युवा पीढ़ी को सीखाना होगा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये एक प्रेरक अवसर है। हम जहां हों, मां भारती की संतान के रूप में आज़ादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए, कोरोना वैक्सीन पर बोले पीएम मोदी, कम समय में मिशन मोड में आए वैज्ञानिक। भारत में सबसे तीव्र गति से टीकाकरण अभियान। फार्मेसी के क्षेत्र में भारत उभरकर सामने आया। राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा, ”अगर हम पूरी दुनिया को देखें और इसकी तुलना भारत के युवा दिमाग से करें, तो ऐसा लगता है कि भारत अवसरों की भूमि में बदल गया है। एक देश जो युवा है, उत्साह से भरा है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, ऐसे अवसरों को कभी नहीं जाने देगा।
मोदी है मौका लीजिए… संसद में पीएम ने कहा कुछ ऐसा, विपक्षी भी लगाने लगे ठहाके :- अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कई बार विपक्ष को लेकर चुटीली टिप्पणियां कीं जिसपर सदन में खूब ठहाके लगे। भाषण खत्म करते-करते भी मोदी ने कुछ ऐसा कह दिया कि राज्यसभा में हंसी गूंज गई। मोदी ने सांसदों से कहा कि ‘आप लोग कोविड के चलते कहीं बाहर नहीं जा पाते होंगे, ऊपर से घर में भी किच-किच होती होगी। ऐसे में सारी भड़ास मुझपर निकालकर आप खुशी से घर जा सकते हैं।’ भाषण खत्म करते वक्त मोदी ने कहा कि ‘यह आनंद लेते रहिए… मोदी है मौका लीजिए।’ पीएम का इतना कहना था कि सदन ठहाकों से गूंज उठा।
सदन में जिस तरह चर्चा हुई… और मैं सच बताता हूं। चर्चा का स्तर भी अच्छा था… वातावरण भी अच्छा था। ये ठीक है… इससे कितने लाभ होते हैं। मुझपर भी कितना हमला हुआ। हर प्रकार से जो भी कहा जा सकता है, कहा गया। लेकिन मुझे बहुत आनंद हुआ कि मैं कम से कम आपके काम तो आया। देखिए आपके मन में एक तो कोरोना के कारण ज्यादा जाना-आना होता नहीं होगा… फंसे रहते होंगे… और घर में भी खिच-खिच चलती होगी। अब इतना गुस्सा यहां निकाल दिया तो आपका मन कितना हल्का हो गया। आप घर के अंदर कितनी खुशी-चैन से समय बिताते होंगे। तो ये आनंद जो आपको मिला है… इसके लिए मैं काम आया ये भी मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। और मैं चाहूंगा कि ये आनंद लगातार लेते रहिए। चर्चा करते रहिए… लगातार चर्चा करते रहिए… सदन को जीवंत बनाकर रखिए। मोदी है मौका लीजिए… बहुत-बहुत धन्यवाद।
नया शब्द दे गए ‘आंदोलनजीवी’
पीएम मोदी ने सदन में कहा, “हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं। श्रमजीवी… बुद्धिजीवी… ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वो है आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे… स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा।”